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भविष्य में कैसा होगा इंसान?How will human beings in the future|हिंदी

मस्ते दोस्तो,आज में कुछ ऐसा Topic पर बात करने जा रहा हु जो आज हम अगर सोचने जाए तो कल्पना से भी परे हैं,अधिकतर लोग internet पर "future mein kaisa hoga insaan" यह जरूर सोचा होगा,चलिये जान लेते हैं की 'aage chalkar kaisa dikhega insaan".

भविष्य में कैसा होगा इंसान?How will human beings in the future|हिंदी
भविष्य में कैसा होगा इंसान?How will human beings in the future|हिंदी
भविष्य में कैसा होगा इंसान:
Future में होने वाले Development को समझने के लिए हमें अपने अतीत में झांकने की ज़रूरत है।क्या हमारे वंशज(Descendant) किसी काल्पनिक Scientist उपन्यास के चरित्रों की तरह उच्च Technique से लैस ऐसे मनुष्य होंगे, जिनकी आंखों की जगह Cameras होंगे, शरीर के अंग(Organ) खराब हो जाने पर New organ अपने आप विकसित(Develope) हो जाएंगे, आखिर सोचो जरा कैसी होंगी हमारी आने वाली Generations?

क्या humans आने वाले समय में जैविक(Biological) और कृत्रिम प्रजातियों(Artificial species) का मिला-जुला रूप होगा? हो सकता है वो अब के मुक़ाबले और नाटा या लंबा(Nata or Long) हो जाए, पतला या फिर और मोटा(Thin or thicker) हो जाए या फिर शायद उसके चेहरे और त्वचा का रंग-रूप(Skin color) ही बदल जाए?

ज़ाहिर है, इन सवालों का जवाब हम अभी नहीं दे सकते।इसके लिए हमें Past में जाना होगा और ये देखना होगा कि लाखों साल(Millions of years) पहले मनुष्य कैसा था। शुरुआत करते हैं उस समय से जब होमो सेपियंस(Homo sapiens) थे ही नहीं। लाखों साल(Millions of years) पहले शायद मनुष्य की कोई दूसरी ही प्रजाति(Species) थी, जो homo erectus(standing man) और आज के मनुष्य से मिलता-जुलता था।

पिछले दस हज़ार Years में, कुछ बहुत ही Important बदलाव हुए हैं जिनके मुताबिक इंसान ने अपने आपको ढाला है। खेती पर निर्भर होने और खानपान(food and drink) के विकल्प(option) बढ़ने से कई दिक्कतें(Problems) भी हुईं जिनको सुलझाने के लिए इंसान को Science का सहारा लेना पड़ा, जैसे डायबिटीज़(Diabetes) के इलाज के लिए इंसुलिन(Insulin)।

Body बनावट भी अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग है, कहीं लोग मोटे हैं तो कहीं लंबे।

डेनमार्क(Denmark) के आरहुस विश्वविद्यालय(Aarhus University) के बायोइन्फोर्मेटिक्स(Bioinformatics) विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर थॉमस मेयलुंड(Associate Professor Thomas Myelund) के मुताबिक अगर इंसान की लंबाई कम होती तो हमारे शरीर को कम ऊर्जा(Energy) की ज़रूरत पड़ती जा रही हैं और यह लगातार बढ़ रहा आबादी(Population) वाले ग्रह के लिए बिल्कुल सही होता।

तकनीक से दिमाग का विकास:
बहुत से तमाम लोगों के साथ रहना एक अन्य ऐसी परिस्थिति(Situation) है जिसके मुताबिक इंसान को अपने आपको ढालना होगा।पहले जब हम शिकार(Prey) पर ही निर्भर थे तो रोज़मर्रा(Everyday) के जीवन में आपसी संवाद(conversation) बहुत कम हुआ करता था। मेयलुंड(Myelund) का मानना है कि हमें अपने आपको इस तरह से ढालना चाहिए था कि हम इस सब से निपट सकते।जैसे लोगों का नाम याद(remember the name) रखने जैसा अहम काम हम कर सकते।

यहां से शुरु होती है Technology की भूमिका(role)।थॉमस(Thomas) का मानना है- "Brain में एक Implant fit करने से हम लोगों के नाम आसानी से याद रखखा जा सकता हैं."

वो कहते हैं- "हमें पता है कि कौन से Jeans brain के इस तरह के development में कारगर(Effective) होंगे जिससे हमें अधिक से अधिक लोगों के नाम याद रह सके."

आगे चल कर हम शायद उन Jeans में बदलाव कर सकें। ये एक Science कथा जैसा लगता है लेकिन ये मुमकिन है। ऐसे Implants हम लगा सकते हैं but ये बात ठीक से नहीं जानते कि उसे किस तरह जोड़ा जा सकता हैं कि उसका ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल हो सके। हम उसके near तो पहुंच रहे हैं लेकिन अभी इस पर प्रयोग चल रहा है।उनका कहना है- "ये अब जैविक(Biological) से ज़्यादा Technology का मामला है."

मां-बाप की पसंद के होंगे बच्चे:
अबतक हम शरीर के टूटे हुए अंगों(Broken organs) को बदल या ठीक कर पा रहे हैं जैसे Pacemaker लगाना या कूल्हों(Hips) का बदला जाना)। शायद Future में ये सब मनुष्य को बेहतर बनाने में इस्तेमाल हो। इसमें Brain का development भी शामिल है। हो सकता है हम अपने रंग-रूप(Look and feel) या शरीर में Technique का ज़्यादा इस्तेमाल करें। जैसे कृत्रिम आंखें(Artificial eyes) जिनमें ऐसा कैमरा फ़िट(Camera fit) हो जो अलग-अलग रंगों और चित्रों(Colors and pictures) की अलग-अलग फ्रीक्वेन्सी(Frequency) पकड़ सके।

हम सबने Designer बच्चों के बारे में सुना है। Scientists ने पहले ही ऐसी Technique ईज़ाद कर ली है जो भ्रूण(Embryo) के जीन्स(Jeans) को ही बदल दे और किसी को पता भी ना चले कि अब आगे क्या होने वाला है। लेकिन मायलुंड(Myelands) का मानना है कि Future में कुछ Jeans का ना बदला जाना अनैतिक(Immoral) माना जाएगा। इसके साथ हम चुन पाएंगे कि बच्चा दिखने में कैसा हो, शायद फिर Man वैसा दिखेगा जैसा उसके mother-father उसे देखना चाहते हैं।

Myelands का कहना है- "ये अब भी Choose पर ही निर्भर करेगा लेकिन ये चुनाव अब Artificial होगा। जो हम कुत्तों की प्रजातियों(Species) के साथ कर रहे हैं, वही हम इंसानों के साथ करना शुरु कर देंगे."

Genetic variation:
ये सब सोचना अभी बहुत काल्पनिक(Dreamy) लगता है, लेकिन क्या Population के रुझान हमें इस बारे में कुछ संकेत दे सकते हैं कि Future में हम कैसे दिखेंगे?

'Grand Challenges In Eco Systems and the Environment' के Lecturer Dr. Jason का कहना है- "करोड़ों साल बाद के बारे में भविष्यवाणी(Prediction) करना पूरी तरह काल्पनिक(Dreamy) है लेकिन निकट Future के बारे में कहना बायोइन्फोर्मेटिक्स(Bioinformatics) के ज़रिए संभव है।

हमारे पास अब आज दुनिया भर से मानव के जैनेटिक सैंपल(Genetic samples) है।जैनेटिक वेरिएशन(Genetic variation) और Population पर उसके असर को अब आनुवांशिकी वैज्ञानिक(Geneticist) बेहतर ढंग से समझ पा रहे हैं।अभी हम साफ तौर पर नहीं कह सकते कि जैनेटिक वेरिएशन(Genetic variation) कैसा होगा लेकिन बायोइन्फॉर्मैटिक्स(BioInformatics) के जरिए वैज्ञानिक(Scientific) जनसंख्या के रुझानों को देखकर कुछ अंदाज़ा तो लगा ही सकते हैं।

जेसन की भविष्यवाणी(Prediction) है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों(Rural areas) में लोगों में असमानता(Inequality) बढ़ती जाएगी। उनका कहना है- "लोग ग्रामीण क्षेत्रों से ही शहरी इलाकों में आते हैं इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों(Rural areas) के मुकाबले शहरी इलाकों में जैनेटिक विविधता(Kitnetic diversity) ज़्यादा देखने को मिलेगी।" उनका यह भी कहना है- "हो सकता है कि लोगों के रहनसहन(standard of living) में भी ये विविधता दिखने लगे।"

ये सब दुनियाभर(Whole world) में एक समान नहीं होगा। Example के तौर पर England में ग्रामीण इलाकों में शहर के मुकाबले कम विविधता(Diversity) है और शहरों में बाहर से आए लोगों की संख्या ज़्यादा होती हैं।

दूसरा ग्रह बना ठिकाना तो कैसा होगा इंसान:
कुछ समुदायों(Communities) में प्रजनन(Sex,Reproduction) दर ज़्यादा है तो कुछ में कम। जैसे Africa की Population तेज़ी से बढ़ रही है तो उनके Jeans भी विश्व के बाकी Communities के मुक़ाबले ज़्यादा तेज़ी से बढेंगे। जिन इलाकों में गोरे लोग रहते हैं वहां प्रजनन दर कम है। यही वजह है कि Jason ने भविष्यवाणी(Prediction) की है कि विश्वस्तर(World level) पर साँवले लोगों की संख्या बढ़ती जाती रहेगी।

उनका कहना है- "ये तय है कि World level गोरे लोगों के मुक़ाबले साँवले लोगों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोत्तरी(Increase) होगी और इंसान की कई पीढियों(Generations) के बाद का रंग उसकी आज की Generation से गहरा ही होगा."

और अंतरिक्ष(Space) का क्या होगा? अगर मनुष्य ने मंगल ग्रह(Mars) पर बस्तियां(Settlements) बना लीं तो हम कैसे दिखेंगे? कम ग्रुत्वाकर्षण(Gravity) के कारण हमारी मांसपेशियों(Muscles) की बनावट बदल जाएगी. शायद हमारे हाथ-पैर और लंबे हो जाएं. हिम युग(Ice age) जैसे ठंडे वातावरण(Cold atmosphere) में क्या हमारे शरीर की चर्बी बढ़ जाएगी और क्या हमारे पूर्वजों(Ancestors) की तरह हमारे शरीर के बाल ही हमें ठंड(Cold) से बचाएंगे?

हमें अभी नहीं पता, लेकिन इतना जरूर है कि मनुष्य में Genetic बदलाव हो रहे हैं। Jason के मुताबिक हर साल मानव Genome के 3.5 billion base pair में से लगभग दो में बदलाव हो रहा है। ये सच में Amazing है और इस इस बात का सबूत(evidence) भी कि लाखों-करोड़ों(Millions of crores) साल बाद इंसान ऐसा नहीं दिखेगा जैसा आज दिखता है।यह Post को लिखने में बहुत Time लग गया,मुझको उम्मीद हैं यह Post आपको पसंद आया होगा।

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